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Hamara Desh Hamara Abhiman

वर्तमान समय में पूरी दुनिया में टेक्नोलॉजी तेज़ी से बढ़ी है... इसका सबसे ज्यादा असर हमारे समाज में तो पड़ा है.. इसके साथ साथ सबसे ज़्यादा नुकसान साहित्यऔर संस्कृति पर पड़ रहा है...आज के युवा ज्ञान के नाम पर हर चीज गूगल में ढूंढने पे विश्वास करते हैं। न्यूज पेपर पढना कम हो गया उसकी जगह लोग देखना और सुंनना ज़यादा.पसंद करते हैं... इसका नतीजा.बड़ा दुखड़ाई हैं हुआ कि देश में निकलने वाली नामचिन पत्रिकाये.. बंद हो गई.. एक वक्त ऐसा था जब देश में हर राज्य कि धर्मयुग दिनमान.. रविवार सप्तहिक हिंदुस्तान सरिता.. चित्रलेखा। कदम्बनी घर के टेबल में पाई जाति थी... और घर का हर सदस्य.. उसे पड़त्ता था.. लेकिन वक्त के साथ सब बदल गया है। है..इन सब सब के लिए श्री मनोज चतुर्वेदी जी ने.. हमारा देश हमारा। अभिमान की इस्मे समाज और सनातन से जुड़े.. लोगो ने उन्हें प्रोत्साहित किया.. और अब ये मासिक पत्रिका.. पिछले एक वर्ष से लगातार प्रकाशित हो रहा है इससे.. .साहित्य सिनेमा...खेल राज नीति..और...सनातन धर्म से संबंध.समग्री पढ़ने को मिलेगी..इस पत्रिका ऑनलाइन संकलन में भी होगा.. इस लिए आप के लिए ये वेब साइट बना दिया गया.. ताकि हम जायदा से ज़यादा लोगो तक पहुंचे. ये हमा रमार्क उदेश्य है। जय हिन्द जय भारत

Writer/Editor

Manoj Chaturvedi